ऑपरेशन ब्लैक स्पॉट: खोजी पत्रकारिता की केस स्टडीज़ (Operation black spot: khoji patrakarita ki case studies)

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कभी आपने सोचा है कि जब कोई पत्रकार खुद एक ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ बन जाए तो क्या होता है? ‘ऑपरेशन ब्लैक स्पॉट’ सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि एक ऐसी सच्चाई है जो पर्दों के पीछे दबी रह जाती है। यह उस खोजी पत्रकार की आपबीती है जो सत्ता और सिस्टम के गहरे काले धब्बों को उजागर करने निकला था, लेकिन जब उसी पर अपहरण का आरोप लगा, कैमरे की नजरें उसी पर मुड़ गईं। यह किताब उन तेरह दिनों की जेल यात्रा का दस्तावेज है जो सालों की मेहनत, पहचान और भरोसे को एक झटके में डुबा गई। लेकिन कहानी यहीं नहीं रुकती। ✦ यह उन पन्नों की गवाही है जो कभी न्यूज़रूम तक नहीं पहुंचे। ✦ यह उन आवाज़ों की लड़ाई है जिन्हें सत्ता ने दबाने की कोशिश की। ✦ और यह उस कलम की वापसी है, जो सब कुछ खोकर भी, सच लिखने से नहीं डरी। इस किताब में आपको मिलेंगे: सत्ता और प्रशासन के गठजोड़ की परतें एक खोजी पत्रकार की अंतर्दृष्टि और उसकी नैतिक लड़ाइयाँ मीडिया, राजनीति और न्याय प्रणाली के बीच झूलता एक सच अगर आपने कभी सच्चाई के लिए अकेले खड़े होने की कीमत चुकाई है, या अगर आप जानना चाहते हैं कि पत्रकारिता कैसे सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि एक संघर्ष बन जाता है, तो यह किताब आपके लिए है। “ऑपरेशन ब्लैक स्पॉट” पढ़िए, क्योंकि कुछ कहानियाँ हेडलाइन नहीं बनतीं,  वो ज़मीर में गूंजती हैं।

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