ज़रूरतें, ज़िम्मेदारियाँ और ख्वाहिशें
क्या ज़िंदगी महज़ एक समझौता है ज़रूरतों, ज़िम्मेदारियों और ख्वाहिशों के बीच? यह पुस्तक एक गहन मनोवैज्ञानिक और आत्मिक यात्रा है जो पाठक को जीवन के तीन मूल स्तंभों से जोड़ती है , ज़रूरतें जो हमें चलाती हैं, ज़िम्मेदारियाँ जो हमें बांधती हैं, और ख्वाहिशें जो हमें उड़ने देती हैं। यह किताब उन सभी के लिए है जो अपने अस्तित्व को नए नज़रिए से देखना चाहते हैं, जो स्वयं को समझना और बेहतर बनाना चाहते हैं। लेखक अमरजीत सिंह कलिंगा ने इस किताब में प्रेरक विचारों, व्यावहारिक दृष्टांतों और जीवन के अनुभवों के माध्यम से आत्म-विकास की दिशा में एक शक्तशाली संदेश दिया है।
₹499.00

