सत्ता अनुभोधक

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जब समाज ने बेटी को अपनाया, इतिहास ने दिशा बदली। यह पुस्तक मालवा की उस महान परंपरा को समर्पित है, जहाँ एक विधवा, अहिल्याबाई, न केवल स्वीकार की गईं, बल्कि सम्मान और नेतृत्व के शिखर पर प्रतिष्ठित हुईं। समाज की सीमाओं से परे जाकर, इस भूमि ने एक असाधारण स्त्री को राजनैतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक नेतृत्व प्रदान किया। यह पुस्तक एक श्रद्धांजलि है, उन अनाम लोगों को भी, जिन्होंने बिना शोर, बिना शंका, एक स्त्री को राज्य की बागडोर सौंपी और उसे अपने कुलदेवत के रूप में वरण किया। यह एक ऐसी संस्कृति की कहानी है, जहाँ सादगी और स्वाभिमान के साथ सच्ची सत्ता जन्म लेती है।

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