लेखक मानस चंद्र सेतु रसायन शास्त्र के विद्वान एवं सृजनात्मक शिक्षण शैली के लिए मशहूर रहे हैं । बहुत छात्र तो इन्हें रसायन शास्त्र के जादूगर कहा करते थे । ये छात्र जीवन से ही समाज सेवा एवं वंचित वर्गों पर हो रहे जुल्म एवं अत्याचार से काफी चिंतित रहते थे । खंड-खंड में खंडित अति पिछड़ा समाज पर हो रहे शोषण के खिलाफ इन्होंने 7 जुलाई 2006 को “एकवंशी सभा” नामक संगठन की स्थापना की । इन्होंने 113 जातियों में बंटे अति पिछड़ों को एकवंशी सभा के माध्यम से एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया जो अब तक जारी है। ये ट्यूशन से अर्जित रुपए को घरेलू जरूरत की सामान एवं समाज सेवा में लगाते रहे हैं। एकवंशी सभा के माध्यम से ये निः स्वार्थ रूप से जाति तोड़ो अभियान चला रहे हैं खासकर अति पिछड़े वर्गों को एक सूत्र में बांधने का प्रयास लगभग 18 वर्षों से कर रहे हैं। आज के दौर में खासकर अति पिछड़े वर्गों के लोगों के बीच ये किसी पहचान का मोहताज नहीं है। बिहार के लगभग सभी जिलों में इनके सिद्धांतों के पक्षधर सैकड़ो बु‌द्धिजीवी हैं। शिक्षण, समाज सेवा के अलावा 2015 में ये राष्ट्रीय सहारा दैनिक समाचार पत्र से जुड़े और मधेपुरा जिला के ब्यूरो प्रभारी बनाए गए । पत्रकारिता के क्षेत्र में इनके द्वारा शराबबंदी से पूर्व लिखा गया आलेख “रात में एक्टर और मदारी को भी मात देता पियक्कर” को लोगों द्वारा काफी सराहा गया। मजदूरों के पलायन से लेकर भू-माफियाओं के करतूतों को अपनी लेखनी के माध्यम से सशक्त रूप में समाज एवं जनता के बीच लाते रहे ।