हम सब ज़िंदगी भर किसी न किसी चीज़ की तलाश में रहते है कभी सफलता, कभी प्यार, कभी सुकून। लेकिन क्या आपने कभी खुद से मिलकर देखा है? यह किताब एक आत्मिक यात्रा है, जहाँ सवाल बाहरी दुनिया से नहीं, अपने भीतर से पूछे जाते हैं।
हर पन्ना एक आइना है, जो आपकी सोच, आपकी भावनाओं और आपकी असली पहचान को उजागर करता है। रिश्तों की उलझनों, अकेलेपन की चुप्पियों और आत्म-स्वीकृति की रोशनी में, यह किताब आपको अपने भीतर झाँकने की हिम्मत देती है।
